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Gau rakshak Shri Veer Tejaji Maharaj life story in Hindi

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 श्री सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज : वीर तेजाजी महाराज जाट कुल के वीर गौ रक्षक और सत्यवादी लोक देवता माना जाता है। वीर तेजाजी महाराज की कहानी बहुत ही सुंदर और किसान वर्ग के लोगों को प्रोत्साहन करने वाली कहानी मानी जाती है। राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में खेती करते समय बुवाई के समय मारवाड़ी लोग तेजा गायन (अलग कला में तेजाजी की कहानी) और तेजाजी के गाने बजाते हैं। माना जाता है कि तेजाजी जाट जाति के किसान वर्ग के व्यक्ति थे। मारवाड़ क्षेत्र में ज्यादातर तेजाजी महाराज के गाने ही बजाए जाते हैं। शादी पार्टी व अन्य समारोह में तेजाजी महाराज के गाने बजाते हैं और तेजाजी के गानों पर मारवाड़ी लोग नाचते भी हैं। तेजाजी महाराज को कलयुग के देवता के नाम से भी जाना जाता है। सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज को काला बाला का देवता भी कहा जाता है। श्री वीर तेजाजी महाराज की कहानी मैं आज आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताने जा रहा हूं अगर आपको अच्छी लगती है तो आप इस कहानी को अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें।

Teja ji ki katha


सत्यवादी श्री वीर तेजाजी महाराज

श्री वीर तेजाजी महाराज जाट जाति के धोलिया गोत्र के तिहाड़ जी धोलिया के घर जन्म लिया था। वैसे तो तेजाजी महाराज की जन्म सन जैसी जानकारी विकिपीडिया पर भी मिल जाती है। हम इस प्रकार की जानकारी प्रदान नहीं कर सकते हैं। श्री वीर तेजाजी महाराज के पिताजी की मृत्यु तेजाजी के बचपन में ही हो गई थी। तेजाजी की शादी भी बचपन में ही हो गई थी शादी के कुछ दिन बाद ही श्री वीर तेजाजी महाराज के पिताजी की मृत्यु हो गई थी। श्री वीर तेजाजी महाराज और उनकी माता रामकवरी तेजाजी के पिता के बड़े भाई के साथ रहने लग गए थे। समय निकलता गया तेजाजी महाराज जवान हो गए। तब तेजा जी को उनकी मां ने कहा कि खरनाल गांव का राज्य शासन आपके पिताजी के बड़े भाई के बेटे संभालेंगे। हमें तो खेती करके ही अपना जीवन गुजारना पड़ेगा। यह सुनकर तेजाजी ने अपनी मां से खेत में बुवाई करने के लिए जाने को तैयार हो गए थे। तेजाजी दो बैल और हल लेकर खेत में चले गए थे। तेजाजी महाराज काफी देर तक खेत में हल जोतते रहे। लेकिन काफी समय के बावजूद भी तेजाजी के लिए घर से खाना नहीं आया था। तेजाजी इस बात को दिल पर ले लिया और दोनों बैलों को खेजड़ी के पेड़ से बांध दिया। दोपहर के वक्त सुबह का खाना लेकर तेजाजी की भाभी (तेजाजी के पिता के बड़े भाई की पुत्रवधू)  आई। तेजाजी ने भाभी को खाना देरी से लाने का कारण पूछा तो उन्होंने ताना मारते हुए कहा कि आपकी पत्नी मायके में बैठी है। अगर समय पर खाना चाहिए तो आप अपनी पत्नी को ससुराल लेकर आए। मैं रोज-रोज आपको समय पर खाना नहीं दे सकती। भाभी के यह ताने सुनकर तेजाजी को क्रोध आ गया था और वह बैलों को वही छोड़कर घर आ गए थे।


बैलों को खेत में छोड़कर तेजाजी जब घर आए तब तेजाजी की मां ने वापस घर आने का कारण पूछा तो तेजाजी महाराज ने अपनी मां से कहा -मां मेरी शादी कब हुई थी और मेरी धर्मपत्नी कौन है मेरा ससुराल कहां है मेरे ससुर जी कौन है। यह सब बातें सुनकर तेजाजी की मां अचंभित हो गई कि आज तेजा यह क्या पूछ रहा है। आज इसको क्या हो गया। वीर तेजाजी की मां ने तेजा से पूछा कि बेटा आज तुम्हें क्या हो गया तुम यह सब क्यों पूछ रहे हो। तब तेजाजी ने सारी कहानी बताई और कहा कि मैं अब मेरी धर्मपत्नी को ससुराल लाने जा रहा हूं। मुझे किसी पराए की पत्नी के हाथ का खाना नहीं खाना है। तेजाजी की मां ने तेजाजी को उनके ससुराल का पता बताया। तेजाजी का ससुराल राजस्थान के अजमेर जिले के किशनगढ़ शहर के पास पनेर गांव है। पनेर गांव के मुखिया रायमल जी मोत्या तेजाजी के ससुर थे। तेजाजी की धर्मपत्नी का नाम पेमल था। 


श्री वीर तेजाजी महाराज अपनी मां से अपने ससुराल का पता पूछ कर ससुराल रवाना हो गए थे। जब तेजाजी ससुराल रवाना हुए तब तेजाजी की भाभी तेजाजी को कहा कि पहले अपनी बहन राजल को घर लेकर आओ उसके बाद जोशी जी से मुहूर्त निकलवा कर ससुराल जाओ। तेजाजी तुरंत बैलों का श्रंगार कर राजल के ससुराल पहुंचे और राजल बाई को पियर लेकर आए। राजल बाई को घर लाने के बाद तेजाजी जोशी जी के पास जाकर मुहूर्त पूछते हैं तो जोशी जी उनके लिए चौघड़िया ठीक नहीं बताते हैं और कहते हैं कि अगले माह की तीज के दिन आप ससुराल जा सकते हैं। अगर आज ससुराल जाते हैं तो आप लौट कर वापस नहीं आओगे आपकी देवलिया ही पूजी जाएगी। यह सुनकर तेजाजी को गुस्सा आ गया और तेजाजी ने जोशी जी को कहा कि अगर मैं वापस आ गया तो तेरी खाल निकलवा कर किसी पेड़ पर टांग दूंगा। 


तेजाजी महाराज एक शूरवीर योद्धा होने के कारण बिना मुहूर्त के ही ससुराल के लिए निकल पड़े। ससुराल जाते वक्त रास्ते में कई अपसुकून हुए थे। लेकिन तेजाजी ने यह मन में ठान लिया कि शूरवीर पुरुष कभी सुकून नहीं देखते। वह अपने वजन पूरे करने के लिए अपने प्राणों को भी त्याग सकते हैं। यह सोचकर तेजाजी निरंतर आगे बढ़ते रहें। 


2 दिन पश्चात तेजाजी अपने ससुराल शेर पनेर पहुंच गए थे वहां पर जाने के बाद गांव की पनिहारी (पानी लाने वाली औरतें) से रायमल जी का पता पूछते हैं। तब भी वह पनिहारी तेजाजी को उनके ससुर जी का घर का पता बताते हैं। पनिहारी दौड़ती हुई तेजाजी से पहले पहुंचकर पेमल को बता देती है कि आपके पतिदेव आपको लेने के लिए शहर पनेर आ चुके हैं। तेजाजी बताए हुए पते पर ससुराल पहुंचते हैं। जैसे ही वह घर में प्रवेश करते हैं तब उनकी सास गाय का दूध निकाल रही थी और तेजाजी की घोड़ी के पैरों की आवाज से गाय के बछड़े बिलख गए थे और सारा दूध जमीन पर गिर गया था। यह सब कुछ होने पर अनजाने में तेजाजी की सास तेजाजी को खरी-खोटी सुना देती है। कहती है कि जिसने मेरे गायों के बछड़ों को बिलखाया है उसको कलिंदर सांप डस ले। यह सुनकर तेजाजी को गुस्सा आ गया था और तेजाजी अपनी घोड़ी लीलन को वापस घुमा लेते हैं। 


तेजाजी पनेर में आए हुए थे यह पता पेमल को लग गया था इसलिए वह दौड़ कर आई और तेजाजी को रोकने का प्रयास किया। तेजाजी ने पेमल को कहा कि जहां पर इज्जत ना हो वहां योद्धा रोक नहीं करते। तेजाजी और पेमल के बीच में काफी देर तक वार्तालाप चली आखिर में तेजाजी ने पेमल की बात मान ली और एक रात पनीर में रुकने का वादा कर लिया था। इस बात से पेमल बहुत खुश हुई। तेजाजी अपना वादा निभाते हुए एक रात पनेर गांव में रुकते हैं। 


जब अगले दिन सवेरे तेजाजी की आंख खुलती है तब किसी औरत के रोने बिलखने की आवाज सुनाई देती है। जब तेजाजी महल की खिड़की से बाहर देखते हैं तब उन्हें पता चलता है कि एक गुज्जर नारी रो रही है और कह रही है कि इस धरती पर मांओ ने शूरवीर योद्धाओं को जन्म देना बंद कर दिया है। यह वीरों की भूमि अब बांजरी हो गई है। इस धरती ने सुर वीरों को जन्म देना बंद कर दिया है। वीरों की भूमि के लाने वाली इस भूमि का अब कौन रखवाला बनेगा। यह बात सुनकर तेजाजी शर्मिंदा हो गए और उनका खून खौल उठा। तेजाजी झटपट मेहलों से नीचे उतरे। मेहलों से नीचे उतर कर तेजाजी उस गुर्जर नारी को पूछते हैं कि तुम इस वीरों की भूमि के बारे में ऐसा क्यों बोल रही हो। तुम्हें कौन सा दुख हो गया कि आप हम जैसे वीरों पर ही नहीं बल्कि इस पैरों की जननी जन्मभूमि को भी दाग लगा रही हो। 


तेजाजी की मधुर वाणी सुनकर गुर्जर की नारी कहती है कि मेरी गायों को मीणा जनजाति के चोर चुराकर ले गए हैं। मैंने सभी से मदद मांगी लेकिन किसी ने मेरी मदद नहीं की। अब मुझे ऐसा लगता है कि सब आप जैसे शूरवीर तलवार और भले लेकर फालतू में ही बोझ ढो रहे हैं। कोई असहाय ही की सहायता नहीं करता। तेजाजी ने गुर्जर की नारी को धीरज बंधाते हुए कहा कि आपकी गायों को मीणा जनजाति के चोरों छुड़ाकर मैं लेकर आऊंगा। तेजाजी ने गुर्जर जाति की महिला को वचन दे दिया कि मैं आपकी गायों के लिए युद्ध करूंगा और आप की गायों को छुड़ाकर लेकर आऊंगा।


तेजाजी महाराज गुर्जर की नारी को वचन देखकर तुरंत गायों के लिए लीलन पर सवार होकर युद्ध के लिए निकल पड़ते हैं। जैसे ही वह शहर पनेर गांव के बाहर निकलते हैं तो उनको अग्नि में जलते हुए एक कलिंदर सांप को देख लेते हैं। और उनके मन में दया की भावना जग उठती है। तेजाजी अपने पाले की फटकार से सांप को अग्नि से बाहर निकाल देते हैं और सांप के प्राण बचा लेते हैं। सांप तेजाजी से नाराज हो जाता है और कहता है कि मैं अगर आज जलकर खत्म हो जाता तो मुझे मुक्ति मिल जाती आपने मेरी मुक्ति में बाधा डाली है। मैं अब आपके जीवन में बाधा डालूगा। मैं अब तुमक डंक मार लूंगा। तुम्हारा जीवन समाप्त कर दूंगा। तेजाजी ने कहा कि मैंने तो आप के प्राण बचाए हैं अगर आप मुझे डंक मारना ही चाहते हैं तो मैं आपको वचन देता हूं कि मैं गुर्जर नारी की गायों को छुड़ाकर लेकर आऊंगा उसके बाद आपकी बांबी पर आकर अपने वचन निभाऊंगा। उसके बाद आप डंक मार सकते हैं। यह सुनकर सांप हंसने लगा और कहा कि अगर तुम भाग गए तो। तेजाजी ने जवाब दिया कि शूरवीर योद्धा कभी मैदान छोड़कर नहीं भागते। 


तेजाजी सांप को वचन देकर गायों को मीणा जनजाति के चोरों से छुड़ाकर लाते हैं और गुर्जर की नारी को गायें वापस कर देते हैं। और अपने दिए हुए वचनों के अनुसार सांप की बांबी पर पहुंच जाते हैं। अपने वचन के पक्के होने के कारण सांप उन्हें वचन देता है कि तुम कलयुग के देवता के नाम से पूजा जाओगे। किसान खेती करने से पहले आपकी गाथा गाएगा। सांप के डंक मारने के बाद व्यक्ति को अगर आपके मंदिर पर लेकर आएगा तो उसका जहर खत्म हो जाएगा और व्यक्ति सांप के डंक से बच जाएगा। इस प्रकार तेजाजी और कलिंदर सांप दोनों ही अपने वचन पूरे करते हैं।


यह घटना के बाद आज भी तेजाजी के मंदिर या देवरे पर सांप के डंक मारने के बाद व्यक्ति को ले जाया जाता है तो वह व्यक्ति बच जाता है। तेजाजी की इस कहानी पर केवल जाट वंशज के लोगों को ही नहीं बल्कि सभी जाति के लोगों को गर्व है। तेजा जी को गौ रक्षक, सत्यवादी, शूरवीर, जाटों के देवता, कृषि के देवता, काला बाला के देवता, सांप के देवता के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में तेजाजी का पशु मेला नागौर जिले की परबतसर तहसील में लगता है जो कि विश्व का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। तेजाजी का सबसे बड़ा मंदिर खरनाल, हंसौर आदि जगहों पर बने हुए हैं। 


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